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Charitra jab pavitra hai Gagan bhi kaap jayega

पैर में पड़ी बेड़ियों का अब अस्त्र बनाया जाए।

खुद चलकर अपने वजूद को तलाशा जाए।

चरित्र जब पवित्र है गगन भी कांप जाएगा।

तू आरती की लौ बनी तो भूचाल आ जाएगा।

जिस घर की तख्ती पर था लिखा तेरा नाम नहीं।

उस घर को संवारने में तेरी जिंदगी गुजर गई।

दिन घर गृहस्थी में रातें ख़्वाब सजाने में निकल गई।

जिंदगी तुझे जीया नहीं तु तो चौका वासन में गुजर गई।

दर्द वो छुपे रहते हैं सरेआम हुआ करते नहीं।

कुछ ऐसे रिश्ते होते हैं जिनके नाम हुआ करते नहीं।


उसूल की बात आए तो उसे सबसे ऊपर रखना।

रिश्ते में पर हमेशा झुकने की तम्मीज रखना।



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