गम ऐ नहीं की आप हमको ना मिले।
ग़म है कि आप मेरे रकीब को मिलें।
ना आंसूओं में छलकाया।
ना कागज़ पर उतारा हमने।
दर्दे दिल को दिल में ही पाला हमने।
छवि तुम्हारी ना कहीं हो जाए धूमिल।
तोहफा तुम्हारा सबसे छुपाया हमने।
रिश्ते बचाने के लिए बेगुनाही में भी।
सर को झुकाया क्षमा भी मांगा हमने।
जिस्म कुछ नहीं रूह का गठबंधन है।
जिंदगी को एक सफ़र भर माना हमने।
जिंदगी भोगा नहीं हरपल को जिया है।
आपकी दुआओं को इकट्ठा किया हमने।
कट जाएगी जिंदगी गम हो या की खुशी।
एकदिन यह गठबंधन टूटना है माना हमने।
1 Comments
nice poem
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