मेरे जन्म की खुशी मनाते मुझे बस आप दिखें तो थे बाबुजी।
उंगली पकड़कर चलना सिखाया वो आप ही तो थे बाबुजी।
मां की डांट से मुझे बचाने झुठ भी बोला करते थे बाबुजी।
सो रही बिटिया के सर पर अपना हाथ फिराते थें बाबुजी।
मुझे खुश देख अपने सारे गम भूल जाते बाबुजी।
थके हुए काम से लौटने पर भी मीलों घुमाते बाबुजी।
पैर के कांटे निकलवाने हेतु बस मुझे बुलाते थे बाबुजी।
इतना विश्वास केवल धरा पर अपने पर पाया बाबुजी।
मेरे सपने को पूरा करने को सब कुछ दांव पर लगाया बाबुजी।
बेटी को सर पर चढ़ाने का इल्ज़ाम लगाया जब बाबुजी।
इल्ज़ाम सभी का हंस-हंसकर सह लिया आपने बाबुजी।
ज़मीन बेच दहेज़ दिया खुश रहे लाडली बिटिया बाबुजी।
मेहंदी से लेकर बाराती सेवा में समर्पित सदा रहे आप बाबुजी।
विदाई के समय छुप-छुपकर मुझसे भी अधिक रोएं आप बाबुजी।
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विदाई में छुपकर मुझसे अधिक रोएं बाबुजी |
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