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कल रात मैंने सपने में जिंदगी को देखा

Kal raat Maine sapne me jindagi ko dekha

कल रात सपने में मैंने जिंदगी को देखा।

बालों में उंगली फेर मुझे सुला रही थी।

अरसों बाद आया


मेरे दिल को करार।

नींदसे जागा तो देखा वह जा रही थी।

मैंने कहा इतना खुशी इतना दर्द दिया तुमने ।

अगर एक भी कंधे का सहारा देनेवाला दिया होता।

चार कंधों की जरूरत ही नहीं रहती मुझको।

हम दोनों एक-दूसरे को समझने में बीता दिए।

कमबख़्त आंखों में आंसू लिए जा रही थी।

मैं दर्शक बन जिंदगी को जाता देख रहा था।

आंख खुली देखा मेरी नादानी पर मुस्कुरा रही थी।



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