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जाने कहां गई वो शरारतें

जाने कहां गई वो शरारतें।

वो मीठी-मीठी सी चाहते।


किताबें इश्क का पढ़ा पन्ना।

सूखे गुलाब बार-बार सूंघना।

संभाल कर पुस्तक में रखना। 

वो मीठी-मीठी सी प्यारी बातें।

हवा में मिश्री सी घोलती बातें।

अब कहां रही वो शरारतें।

उम्र के साथ ही बढ़ने लगी हिदायतें।

जिंदगी हर वक्त करती है शिकायते।

कभी सोचा ना था 

मेरे अल्फ़ाज़ तुम तक ना पहुंच पाएंगे।

थी मुहब्बत उनके काबिल न हो पाएंगे।

ख़ामोश रहकर प्यार का इजहार किया।

दूर रहकर भी हमेशा उनसे प्यार किया।

मुहब्बत में अजीबो-गरीब हालात होते है।

दर्द उन्हें होता है आंखों में आंसू मेरे होते है।

जिम्मेदारी तले दबी हुई महसूस करती हूं। 

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