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Ro sako jispar rakh sar apna yese kandhe ki na talash karo

हर खुशी गम में शामिल हो देकर साथ दोस्त तेरा बन जाता है।


जब कोई तुमसे अच्छा मिल जाता है छोड़ के वह चल जाता है।

आंखों से अश्रु बहते है दिल चूड़- चूड़ हो जाता है।

दिल में एक कसक सी होती है तेरे आंसू न देख वो पाता है।

जग सुना-सुना लगता है स्वयं का किरदार निर्रथक लगता है।

अब खुद को कोसों या माफी दो दास्तानें मुहब्बत बंद करो।

रो सको जिसपर सर रख अपना ऐसे कंधे की न तलाश करो।

पुरानी यादों को गटर में डाल नई राह की तुम तलाश करो।

ख्वाहिश और ख्वाबों को उढ़ा कफ़न श्मशान न ले जाओ।

नया विहान होने बाकी है कफ़न फेंक उन्हें सजाओ तुम।

जन्नत की हूर की ख्वाहिश लिए जीवन को ना नरक बनाओ।

प्रकृति की छटा में हो विभोर प्रकृति प्रेमी बन जाओ तुम।

तेरे आंसू पर भी तेरा ही हक़ है यह बात नहीं भूल जाओ तुम।

अपने आंसू ख़ुद पोछ उठो जिंदगी पथ पर बढ़ जाओ तुम।

ख्वाईसो और ख्वाबों का श्मशान मेरे पास ।

नाराज़ होना फितरत में है ही नहीं अपनी।

मांगे बिना ही माफी देने की आदतअपनी।

सभी को यहां धन दौलत और मकान चाहिए।

किसी को जन्नत तो किसी को ज़हान चाहिए।

मुझे रोने को बस कंधा ऐसे इंसान का चाहिए।

मुझे बस सबके आंसू पोंछने का अधिकार चाहिए।




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