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Mere Hisse ka Andhkar Lauta do

रखो रोशनी अपने पास

मेरे हिस्से का अंधकार लौटा दो।

यह अकेलापन क्या डरायेगा मुझे।

अपूर्ण हूं तो रहने दो 

पूर्ण होना कोई जरूरी तो नहीं।

पूर्णता प्राप्त कर फूलों को झरते देखा है।

अव्यवस्थित हूं तो रहने दो 

व्यवस्थित रहने की चाहत ही नहीं।

इस बिखरेपन में जो शुकून है वो कहीं नहीं।

असंतुष्ट हूं तो रहने दो

संतुष्टि के बाद जिंदगी


रहती कोई जिंदगी नहीं।

निठल्लेपन और अकर्मण्यता चाहिए नहीं। 

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