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Char Din ka Mela tha Tu kaha Mai kaha Gaya

कल रात सपने में मेरी मुलाकात मुझसे हो गई।

मैं डर गया अगर पूछ लिया कहां थे इतने दिन।

तो क्या जबाब दूंगा झूठ मूठ के बहाने सोचने लगा।

मुंह पर उदासी क्यों ? चेहरे का रौनक कहां गया ?

इतना बोलने वाला मौनी बाबा क्यों बन गया ?

सोचा बता दूं -

अधिक गर्मी से चेहरे की रौनक चली गई।

देखकर दुनिया की बेशर्मी वाणी मौन हो गई।

अपने खिलाफ रचीं गई साजिश में, अपनों को ही पाया तो मौन हो गया।

क्या पता था मुमबत्ती के धागे सा जिसे,

दिल से लगा रखा था, वहीं खत्म कर देगा।

पूरी जिंदगी मैं जिसे मनाती रही वह,

किसी और को मनाने में परेशान रहा।

सीजेरियन से आनेवाला इंसान वेंटिलेटर पर जाता है।

आंसू और मुस्कान है झूठे नकलची हो गया इंसान।

राग द्वेष,मान अपमान से परे प्रेम का तिरस्कार ने मौन कर दिया।

तुम्हारे प्रेम में अभिभूत हो अपने अंह भूल गया।

चार दिन का मेला था फिर तुम कहां मैं कहां गया।

ApneKhilaphRachiSajishmeApnokohiPayatoMaunHo Gaya


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