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Bevajahkoibaatnahoti

Muhabbat nahi dekhi

बेवजह कोई बात न होती मेरी और तेरी मुलाकात न होती। 

लोगों को मेरी बातें भी अब ग़ज़ल लगती है।

मुमकिन न था तसव्वुर में तेरी तस्वीर न होती।

तेरे ख्यालों में खोया रहता हूं इस तरह ।

तेरे आने जाने का भी पता नहीं चलता।

कोई तो वजह होगी रिवायत की सफ़े तोड़ने की।

शरीफ़ों की ज़मीर कभी दंगा नहीं देती।जाने कौन-सा रिश्ता है उनसे,रो लेते मगर बद्दुआ नहीं देते।

मोहब्बत करने वालों की नफरत देखोगे तो कांप जाओगे। 

नफरत करनेवालों के दिल में छुपी मुहब्बत देखकर हैरानी होगी।

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