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जी भरकर रो लो |
मैं हूं ना
रोने के लिए किसी का कंधा नहीं चाहिए।
बस मेरे पास बैठे और कहे मैं हूं ना।
जी भर कर रो लो बस इतना ही चाहिए।
मैं रोना चाहती वहां, जहां कोई चुप कराने वाला ना हो।
मैंने आंख में रोके हुए आंसू भी देखा है।
रोने के लिए कंधे को तलाशते भी देखा है
समझ में नहीं आता रोने के लिए कंधा क्यों चाहिए।
मैंने हंसते हुए चेहरे के पीछे रोती हुई आंखें देखी है।
आंसू के बने बर्फ के शीले को महसूस किया है।
आंसुओं से बने बर्फ के शीले मूर्दो के काम आते हैं।
मरने करने के बाद जब इंसान वाॅडी कहलाता है।
जब सब अपने पराए उससे दूर भागते हैं।
यह वर्फिला शीला वाॅडी को अपने ऊपर रखता है।
इस बॉडी में वही इंसान होता है जिसे किसी ने नहीं कहा।
तुम जी भर कर रो लो, मैं तेरे पास बैठा हूं।
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