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Kuredati rahi jakhmo ko bharne na diya

नींद में ना आ जाए कोई चेहरा 

खो ना जाए याद तेरी

ज़ख्मों को भरने ना दिया।

बैठी रही उस जगह अब तक

घास को वहां उगने ना दिया।

जिस जगह आ गई थी चलकर 

चलती रही उस राह पर उसपर 

घास को उगने ना दिया।

मिट ना जाए याद तेरी 

उन दुश्मनों से मिलती रही

जिसने हमें मिलने ना दिया।

नींद में ना आ जाए कोई चेहरा

आंख झपकाती रही उसे सोने ना दिया।

आंखों को झपकाते रही उसे सोने ना दिया 

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