सफ़र अधूरा न छोडेंगे
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हमसफर ना सही हमराही बन के छोडेंगे |
सफ़र में निकले हैं तो सफर अधूरा न छोड़गे।
माना राह है बहुत मुश्किल फिर भी पूरा छोड़ेंगे।
देखे है ख्वाब जितने मुकम्मल करके छोड़ेंगे।
अपनी मेहनत बदौलत कामयाबी ले के छोड़ेंगे।
कितना भी लंबा सफर हो मुख्तसर करके छोड़ेंगे।
बिछड़ा वो शख्स जिंदगी उसे नज़राना करके छोड़ेंगे।
जिन्हें चोर नजरों से देख चेहरे पर मुस्कान आती है।
खामोशी में छिपी मुहब्बत वो पकड़ के छोड़ेंगे।
है अनबोला-अनकहा जो प्यार का रिश्ता अपना।
नामुमकिन है इस मुहब्बत से वो इंकार कर देंगे।
हमसफर नहीं ना सही हमराही बन के छोडेंगे।
ख्वाहिश में नहीं ख्वाब में मिलने की कोई तरकीब निकालेंगे।
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