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प्यार होता तो एक तरफा निभा लेती

प्यार होता ??

दोस्ती एक तरफा निभाई नहीं जाती

मुहब्बत होता तो एक तरफा निभा लेती।

दर्द ऐ दिल क्या हमें विरासत में मिले हैं। 

खुद की कमाई दौलत लुटाई नहीं जाती।

उम्र भर का साथ तुमसे मांगा ही कहां था। 

पल दो पल का साथ भी निभाई नहीं जाती। 

हंसकर कह दिया आपने हमको अलविदा।

एक हम हैं बैठे हैं वहीं हमसे जाई नहीं जाती।

दोस्त माना जिसे उसके काबिल नहीं थे हम।

यह मानती हूं मैं, दिल से मनवाई नहीं जाती।

खुली जब हकीकत का पिटारा हैरान कर गई।

लाश थी मुहब्बत की हमसे दफ़नाई नहीं जाती।

लाख कोशिश करती रही यादें मिटाई नहीं जाती।

वो लफ्ज़ जो अधूरे रह गए तमाम उम्र।

तेरे सामने आते जुबां पर लाई नहीं जाती

प्यार होता तो एक तरफा निभा भी लेती मैं। 

दोस्ती एक तरफा कभी निभाई नहीं जाती।



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