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जख्मों को भरने ना दिया

 खो जाए न याद तेरी 

आंखों को सोने ना दिया 

ज़ख्मों को भरने न दिया।

बैठी रही उस जगह अब तक।

जिस जगह आ गई थी चलकर।


चलती रही उस राह पर,

उसपर घास को उगने न दिया।


मिट न जाए याद तेरी, 

उन दुश्मनों से भी मिलती रही।

 जिसने हमें मिलने न दिया।


नींद में न आ जाए कोई चेहरा 

पलकें झपकाईं मैंने

आंखों को सोने न दिया।


अश्क को आंखों में छुपाया

तेरी याद को बहने न दिया।


तेरी महफ़िल में रहना न गवारा था। 

अपनी दुनिया में किसी को रहने न दिया।


कट ही जाएगी ज़िंदगी एक दिन 

खुश होकर कटने का मौका न था।

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