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कर्जदार हूं तेरे तस्वीर की

एक तस्वीर ही है जो साथ निभाती है 

हर कश्ती को किनारा मिले ?

मुझे नींद से शिकायत नहीं जनाब 

कसूरवार तो आपका चेहरा है जो 

आंखों से नींद चुरा लिया करती है।


काश कोई तो ऐसा होता 

मेरे बदले सांसे ले लेता।

दिल दिमाग दोनों थक गए हैं।

आउट सोर्सिंग ही अपना लेता।

उधार देने वाला मना कर देता।

ऐसे में तुम ही कहीं से आ जाते।


तुम मेरे ज़ेहन में आए और हम मुस्कुरा दिए ।

मुझे पता भी ना चला कब हम तेरे हो लिए।


किस्मत में ऊपर वाले से नहीं लिखाया है।

फिर जिंदगी ने ना जाने क्यों तुमसे मिलाया है।


अनामी रिश्ता था इसे ही संभाल लिया होता।

कुछ समय निकालकर मुझे समझा लिया होता।


जीने का कोई सहारा हो जरूरी तो नहीं। 

जिसके हम हैं हमारा हो जरूरी तो नहीं।


सबके बस की बात नहीं यह मान लेना।

जिसका हैं वह, तो को किसी और का है।


अधूरा था अधूरा ही रहा मेरा सफर। 

कभी रास्ते खो गए कभी हमसफर।


मेरी मोहब्ब्त जब बोझ लगने लगी थी तुम्हें।

मैंने तुमसे मोहब्बत भी जताना छोड़ दिया।

खूबसूरत सा था रिश्ता मैंने उसे तोड़ दिया।

मैं असफल ही रही तुम्हें समझने में। 

मेरे हिस्से आई असीमित प्रतिक्षाएं।

नहीं आए तो तुम और तुम्हारा समय।


तुम्हें याद किए बगैर नींद से सो जाऊं।

तुमसे मिलने के बाद ऐसी रात आई नहीं।


किस्मत की लकीरों में थे ही नहीं तुम।

तुमसे मिले बगैर तुम्हारी आदत हो गई।


हजारों अपने हो पर याद तुम्हारी आती है।

एक तस्वीर है तुम्हारी जो साथ निभाती है।


जी भर कर बात करती हूं ना घबराती है।

तुम साथ हो मेरे यह एहसास कराती है।


कर्जदार हूं इस तस्वीर की जो सारी कमियां।

जानते हुए भी मुझसे इतना प्यार जताती

है।


तस्वीर ही है जो मेरा साथ निभाती है 

जरूरी नहीं की हर कश्ती को किनारा मिले जनाब।

कुछ कश्तियां किनारे आते-आते भी डूब  जाती है।

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