![]() |
प्रश्न आसान उत्तर कठिन? |
आज किसी ने पूछा - आप कौन हैं ? यह प्रश्न जितना सरल था उसका उत्तर उतना ही कठिन ।
तब से सोच रही हूं आखिर मैं हूं कौन?
जिसने जो कहा मानती चली गई।
बेटी से शुरू हुई यात्रा बहन, ननद,बहु, पत्नी, प्रेमिका,भाभी तो चलते-चलते सासु मां,दादी,नानी तक पहुंच गई।
कभी किसी ने गार्डेनर के रूप में देखा तो किसी ने मुझे कागज क़लम के रूप में जाना।
याद आ रही वह कहानी - हाथी के जिस हिस्से को जिसने छूआ वैसी ही उसकी धारणा बनी।
मुझे भी पता कहां चला मैं कौन हूं ? अपने को पहचान कहां पाई हूं।
चलती हूं खोजती हूं उसे? उसे पता होगा कि मैं कौन हूं ? क्यों भेजा है यहां वहीं जबाब दे सकता है।
आप सब की दुआ चाहिए वो एकबार मिल जाए मुझे।
नगीना शर्मा 🙏
0 Comments