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मैं रोती रही तू छीनता रहा |
निर्मोही चौबीस तूने मेरा बहुत कुछ छीना बहुत कुछ लूटा।
मैं रोती रही तू छीनता ही चला मैं लूटती रही तू लूटता ही रहा।
कई हमसे बिछड़ते चले, बचा अब हौसला नहीं।
बदलते साल में उनका बदलना लाजमी तो नहीं।
मेरा जो हाल है तुम बिन तुम कभी समझ पायेगा क्या?
पूछो इस निर्मोही चौबीस से जो छीना लौटा पायेगा क्या?
जो खो गया उसे भूल जा, कहना जितना आसान है।
अतीत भूल जाना, कहो उतना ही आसान है क्या ?
तुमको खोकर, जो मेरे दिल का हाल है।
इसका तुमको भी कोई मलाल है क्या?
अपने दिल की हालत तुम कभी बताएगा ही नहीं।
जानती हूं हंसकर दिखाओगे, बताकर रुलाओगे नहीं।
खोकर मुझे तुम भी रोया होगा किसी को आंसू दिखाओगे नहीं।
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