तस्वीर से एक तरफा लड़ाई नहीं होती
तेरी तस्वीरें जिस जगह लगाई।
दिवार अपने भाग्य पर इठलाती नजर आई।
दीवार का इठलाना ठीक है बस उसे,
हर पल देखते रहना ग़लत हो गया।
नज़रें जब भी उठती वहीं ठहरकर रह जाती।
वो दीवार जिस पर तेरी तस्वीर नज़र आती।
बस हर पल देखते रहना ग़लत हो गया।
मुरझाए पौधे अंजुरी भर पानी पाकर चहक जाते।
मेरा मन भी बस इतनी सी चाहत ही तो ढूंढ़ा करते।
कहीं से तुम आ जाओ या फिर कोई तेरी ख़बर आ जाए।
शाम से रात हुई पर ना तुम आए ना तेरी कोई खबर आई।
तस्वीर से यारा एक तरफा लड़ाई नहीं होती।
काश तेरी तस्वीर मैंने दिल में समाई नहीं होती।
तुमसे बात होना मुलाकात होने तक तो ठीक था।
बस तुमसे प्यार होना ही ग़लत हो गया।
मुझे तुमसे बातें करने में शुकून मिलना तो ठीक था।
बस तेरी आदत लगना ही गलत हो गया।
तुम्हारी बातें कभी खतम ना हो ऐसा लगना ठीक था।
तेरे इतने करीब आते चले जाना शाय़द ग़लत हो गया।
बस तुमसे प्यार होना ही ग़लत हो गया।
सपने देखना तो ठीक था हकीकत मानना ग़लत हो गया।
मेरे दिल में तेरी यादों का रहना सब उलट फेर हो गया।
बस तुमसे प्यार होना ही ग़लत हो गया।
खुदा न जाने यह कब, कहां और कैसे तुमसे प्यार हो गया।
तुम दोस्त थे दोस्त जैसा ही रहना ठीक था।
बस तुमसे प्यार होना ही ग़लत हो गया।
किसी को तेरे साथ देख जलन होने तक ठीक था।
नींद के बग़ावत करने से सब ग़लत हो गया
ख्यालों में बस तुम, तुम और बस तेरा ही रहना कमाल हो गया।
तुमसे मिलूं तो भी,ना मिलूं तो भी जी घबराता है।
बस तुमसे प्यार होना ही शायद ग़लत हो गया।
तुमसे बात होना मुलाकात होने तक तो सब ठीक था।
बस तुमसे प्यार होना ही गलत हो गया।
मेरा कहीं किसी चीज में ध्यान ही नहीं लगता।
तेरी तस्वीरों को देखना तेरे बारे में सोचते रहना।
तुम अभी कहां हो क्या कर रहे हो सोचते रहना तो ठीक था।
मैं कौन हूं कहां हूं भूलना ग़लत हो गया।
अपने दिल की बेचैनी किसी से बता नहीं सकता।
जैसा था मैं पहले वैसा मैं अब हो भी नहीं सकता।
तुमको तो तुम्हारा दोस्त जैसा ही रहना ठीक था।
तुमसे बात होना मुलाकात होने तक तो ठीक था।
ऐसा लगता है प्यार होना ही ग़लत हो गया
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