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मुंह से नहीं तो आंखों से जताया होता

प्यार अपने आप में पूरा रिश्ता होता है 

हाथ में हाथ रख विश्वास तो जताया होता।

तुम मेरे हो मुझे एहसास तो कराया होता।


प्यार में गुलाब देना नहीं विश्वास देना होता।

प्रेम में अंधा होकर होश खोना कहां होता है।


मुहब्बत का दोतरफा होना जरूरी नहीं होता है।

प्यार तो खुद अपने आप में पूरा रिश्ता होता है।


प्यार की परिभाषा देने की कोशिश बेकार है।

इसमें तो समाहित सारी पृथ्वी और आकाश हैं।


बड़े- बड़े प्रेमी पर भारी प्रकृति प्रेमी का प्यार है।

पूरी जिंदगी हरेभरे पेड़ पहाड़ नदियों पर निसार है।



हाथ में हाथ रखकर विश्वास 

ना भी जताया होता।

मेरे हो मुंह से ना सिर्फ 

आंखों से भी बताया होता।

वह दौर था खतों का क्या जमाना था।

उम्मीदें कम मुहब्बत ज्यादा था।

आज़ ह्वाट्सएप फेसबुकिया मुहब्बत है।

मुहब्बत कम है उम्मीदें ज्यादा है।


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