बस हालात बदलते जा रहे थे
जब से तुम्हारी पुरानी तस्वीर सामने आई है।
ऐसा लगता है बचपन फिर लौटकर आया है।
अपने गम पीते-पीते थक गया था तन और मन।
तुमसे बिछड़ जीने का सलीका भूल गया था मन।
लोग खुदा ना मिलने पर मातम मनाया करते हैं।
अपने तो कदमों के निशान भी कहां मिला करते हैं।
अपने अश्रु से अपने ज़ख्मों को धोया है।
सच में तुम से बिछड़ कर बहुत रोया हैं।
हम अपने भाग्य की विवशता पर रो रहे थे।
जब तुम्हारे महफ़िल से हम विदा हो रहे थे।
तुम्हारे ख़त और तस्वीरें साथ लेकर जा रहें थे।
अश्रुपूरित नेत्रों से तुम, मुझे देखते जो जा रहे थे।
मैं भी वहीं थी, तुम भी वही थे, कहानी भी वही थी।
कहानी के सारे दृश्य और किरदार बदलते जा रहे थे।
सब छोड़ कर खुद को अकेले लिए हम जा रहे थे।
दिल तो रुकने को कह रहा था पर चले जा रहे थे।
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