चिर कुंवारी नदी नर्मदा
नर्मदा नदी उलटी दिशा में क्यों बहती है ?
नर्मदा नदी की भारतीय पौराणिक कथा में चित्रण देखने को मिलता है।
सोनभद्र और नर्मदा की शादी तय हुई। धूम -धाम से तैयारी चल रही थी।
शादी का मंडप अमरकंटक में सजा हुआ था।
नर्मदा दुल्हन के रूप में सज रही थी। दुल्हन बनी नर्मदा का साज श्रृंगार चल रहा था। नर्मदा काफी खुश नजर आ रही थी। यह खुशी बहुत देर तक नहीं रह पाई।
किसी से नर्मदा को पता चला की सोनभद्र उसकी दासी नदी जुहिला के प्रेम पास में बंधे हुए हैं, दोनों एक-दूसरे को बहुत पसंद करते हैं।
यह अप्रत्याशित जानकारी सुना जिससे वह सर्वथा अनभिज्ञ थी।
इस विश्वासघात से आहत होकर नर्मदा ने शादी से इनकार कर दिया। नर्मदा का विश्वास टूटा था, पुरुष जाति से, आहत नर्मदा ने शादी नहीं करने का प्रण लें लिया।
क्रोधित नर्मदा उलटी दिशा में चल निकली।
इस कथा का भूगोल से भी गहरा संबंध है। अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा नदी भारत की उन गिनी-चुनी नदियों में से एक है जो पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हैं या एकलौती नदी है। सोनभद्र पूर्व की ओर बहते हैं।
यह उल्टी प्रवाह उनके त्रिकोणीय प्रेम और अलगाव की कहानी को दर्शाता है। जब नर्मदा ने पश्चिम की ओर बहना शुरू किया।
अधिकांश नदिया पश्चिम से पूर्व दिशा में बहती है इकलौती नदी है नर्मदा जो पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चलती है।
वैसे इसके वैज्ञानिक कारण अलग है। मैं उसकी पौराणिक कथा आपके सामने रख रही हूं।
नर्मदा के दिल में इस जानकारी से काफी आघात पहुंचा।
सोनभद्र ने नर्मदा को समझने की बहुत कोशिश की लेकिन उनकी सारी कोशिश नाकाम रही।
नर्मदा के दिल पर गहरा आघात पहुंचा था।
नर्मदा सोनभद्र से शादी के लिए इनकार नहीं किया बल्कि उसने ताउम्र कुंवारा रहने का प्रण भी ले लिया। नर्मदा नदी को कुंवारी नदी के रूप में जाना जाता है।
शादी से इनकार करने के बाद नर्मदा ने अपना रास्ता बदल लिया और पीछे की तरफ चलती चली गई। नर्मदा एकलौती नदी है जो उलटी दिशा में बहती है।
इस कथा में नर्मदा नदी का चरित्र एक सशक्त स्त्री के रूप में उभरता है, जो अपने सम्मान के लिए अपने मार्ग को स्वयं चुनती हैं।
ऐसे पुरुष का सानिध्य स्वीकार नहीं करती जिसने उसके आत्मविश्वास को छला हो।
स्त्री के लिए उसका आत्मसम्मान सबसे पहले आता है। स्त्रियां अपने आत्मसम्मान का हनन करने वाले को क्षमा नहीं कर सकती।
यही कारण है कि नर्मदा को "चिर कुंवारी" नदी भी कहा जाता है, और लोकमान्यता के अनुसार, गंगा नदी भी एक विशेष अवसर पर नर्मदा से मिलने आती है।
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