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Ma ki duwa Khuda ko kabool hai |
मां जन्नत से मिली सौगात है ।
कभी खिलौने से खिलाया
कभी आंचल में छुपाया।
उंगली पकड़ चलना सिखाया।
कड़ी धूप में घनी छांव है मां।
तेरे दुख दर्द को अपना समझ।
तेरे गम में उसने आंसू बहाया।
प्यार बांटना हीं उसका उसूल है।
प्यार का बहता सागर होती हैं मां।
मां की दुआ खुदा को भी कबूल है।
ऐसा लगता मां भगवान का रूप है।
मां की हर एक दुआ जिंदगी बना देगी।
भूलकर भी मां को ना रुलाना कभी।
यह गलती तुम्हारा अर्श हिला देगी।
थकावट छुपाकर भी मुस्कुराती है मां।
तेरे अस्तित्व/व्यक्तित्व में दिखती है मां।
तेरे चरणों में मां मैं अपना सर झुका दूं।
उठते रब से पहले मां मैं तेरा ही नाम लूं।
मां को समर्पित ❤️
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