Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

दिल ज़ख्मी तो हुआ कई बार

कविता की प्रेरणा के संदर्भ में नोट:  

इस कविता की प्रेरणा मुझे एक विवाह समारोह में मिली जहां मैंने दूल्हे को आंसुओं में देखा। उसके चेहरे पर खुशी की बजाय एक असह्य पीड़ा थी, जो मुझे भीतर तक हिला गई।  
जब मैं अकेले में उसकी मां से बात करने का साहस जुटा पाई, तब यह हकीकत सामने आई —
वह लड़का किसी और से मोहब्बत करता था, लेकिन पारिवारिक दबाव और सामाजिक बंधनों के चलते उसे इस शादी के लिए मजबूर किया गया।  
उसके आंसू किसी रस्म के नहीं, बल्कि टूटी मोहब्बत और अधूरे सपनों की स्याही थे।  
जब मैंने उसकी मां से यह पूछा कि उसे उसकी पसंद की लड़की से विवाह क्यों नहीं करने दिया गया, तब उन्होंने बताया कि वह लड़की पिछले साल ही किसी और से विवाह कर चुकी है।  
यह कविता उस युवा के दर्द को समर्पित है — जिसे जीवन की सबसे अहम घड़ी में अपने दिल की आवाज़ को दबाना पड़ा।
मैंने कविता में उसके भाव को बांधने की कोशिश की है।
धन्यवाद ❤️ 

`

Dil Roya Magar Ye Baat na Thi

फिर से पुरानी एक चिट्ठी याद आ गई।

चिट्ठी जिसमें तुमने ही लिखा था कभी,

माफ़ करिए हम आपके काबिल नहीं।


सेहरा सजाए बैठे थे हम

दिल में तेरी छवि आ गई।


महफ़िल हंसी में डूबी रही,

मन में यूं वीरानी आ गई। 

मेरे भीतर खामोशी छा गई।


फिर से पुरानी एक चिट्ठी याद आ गई।

चिट्ठी जिसमें तुमने ही लिखा था कभी,

माफ़ करिए हम आपके काबिल नहीं।


गुलाबों की खुशबू सेहरा से आई।

बांध कर दस्तूरों की डोरी,  

रिवाज़ों की रस्सी थमा गई।

फिर एक पुरानी चिट्ठी याद आ गई।


सेहरे के पीछे मुस्कान थी,  

पर आंख फिर भी भर आई।

अपनी बारात देख दिल टूटा,  

धड़कनों ने भी दूरी बढ़ाई।


कहने को तो बहुत कुछ था,

पर जुंबा कुछ कह नहीं पाई।


दिल रोया पुरानी चिट्ठी फिर से याद आई।


गवाह है वो🌹🌹🌹

फूल जो मेरे सेहरे में टंगे थे।


चेहरे पर था चांद सा साज,  

आंखों में बस तेरी परछाई।


पहले भी रोया था कई बार,

हर बार जुबां खामोश रही।


दिल ज़ख्मी तो हुआ कई बार,

पहले भी हुए थे कई सदमे,

दिल रोया मगर ऐ बात न थी।


एक पुरानी चिट्ठी फिर से याद आ गई।


क्रमशः ???

Post a Comment

0 Comments