कविता की प्रेरणा के संदर्भ में नोट:
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Dil Roya Magar Ye Baat na Thi |
फिर से पुरानी एक चिट्ठी याद आ गई।
चिट्ठी जिसमें तुमने ही लिखा था कभी,
माफ़ करिए हम आपके काबिल नहीं।
सेहरा सजाए बैठे थे हम
दिल में तेरी छवि आ गई।
महफ़िल हंसी में डूबी रही,
मन में यूं वीरानी आ गई।
मेरे भीतर खामोशी छा गई।
फिर से पुरानी एक चिट्ठी याद आ गई।
चिट्ठी जिसमें तुमने ही लिखा था कभी,
माफ़ करिए हम आपके काबिल नहीं।
गुलाबों की खुशबू सेहरा से आई।
बांध कर दस्तूरों की डोरी,
रिवाज़ों की रस्सी थमा गई।
फिर एक पुरानी चिट्ठी याद आ गई।
सेहरे के पीछे मुस्कान थी,
पर आंख फिर भी भर आई।
अपनी बारात देख दिल टूटा,
धड़कनों ने भी दूरी बढ़ाई।
कहने को तो बहुत कुछ था,
पर जुंबा कुछ कह नहीं पाई।
दिल रोया पुरानी चिट्ठी फिर से याद आई।
गवाह है वो🌹🌹🌹
फूल जो मेरे सेहरे में टंगे थे।
चेहरे पर था चांद सा साज,
आंखों में बस तेरी परछाई।
पहले भी रोया था कई बार,
हर बार जुबां खामोश रही।
दिल ज़ख्मी तो हुआ कई बार,
पहले भी हुए थे कई सदमे,
दिल रोया मगर ऐ बात न थी।
एक पुरानी चिट्ठी फिर से याद आ गई।
क्रमशः ???
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