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रुह से जुड़े रिश्ते, वक्त की कीमत


बहुत कर ली कोशिश जमाने ने तोड़ने की रिश्तों को।
फरिश्ते हमेशा से बचाते आए हैं रूह से जुड़े रिश्ते को।

इम्तिहान की इस घड़ी में संभलकर चलना मुनासिब है।
जो रास्ता सही है, बस उस पर चलना ही मुनासिब है।

ख्वाब देखने भर से तमन्नाओं के मंजिल नहीं मिलते।
वक्त के साथ चलना पड़ता मंजिल को पाने के लिए।

आईने में आज मेरा चेहरा धुंधला सा दिख रहा।
दाग चेहरे पर लगे थे मैं आईना साफ करता रहा।

लौट आएगी खुशियां अभी कुछ गमों का दौर है।
हर तरफ फैली है विरानगी यह मुश्किलों का दौर है।

खुद मेरी आंखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई।
जब मेरी हस्ती ही मुझसे प्रश्न सारे पूछने लगे।

जो अल्फाज थे मेरे मुझको ही अब चुभने लगे।
पत्थर उस ओर से आए, जिधर थे अपने खड़े।

झोली में मेरे अल्फाज उनके दुआओं के आने लगे।
मेरी तकदीर संवरने लगी गहरी नींद हम सोने लगे।
                  
( 2)

हर रात को सुबह का इंतजार रहता है।
खुशबू को मौसम का इंतजार रहता है।

खुशी या गम मिले उसे अपनाओ दिल से।
वक्त को भी बदलने का इंतजार रहता है।

वक्त की कीमत जो पहचान पाओगे।
सामने मंजिल को खड़ा तुम पाओगे।

फिसल गया अच्छा वक्त रेत की तरह।
जीवनभर रोओगे और तुम पछताओगे।

इतना आसान नहीं है जमाने में मुहब्बत करना।
हवाओं से उनका पता पूछने की जुर्रत करना।

माना दूर बहुत है मेरे शहर से उसका शहर।
मुहब्बत या इबादत में कहां है दूरी का बसर।

मुहब्बत इबादत में दूरियां नहीं होती

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