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Moneyplant ka prayevachi |
(1)
प्यार❤️ सकूलेंट सा होता है क्या ?
अधिक पानी से मर जाता है क्या?
नहीं-नहीं कोमलता पर मत जाना,
प्यार सकूलेंट जैसा नहीं होता।
प्यार सकूलेंट नहीं होता,
जो पानी से डर जाए,
प्यार तो वो है —
जो बगैर मिट्टी भी मुस्कुरा जाए।
मनीप्लांट जैसी फिदरत होती है।
बगैर मिट्टी भी खुश रहा करता है।
प्यार की जड़ें दिखती नहीं, पर होती हैं,
यादों की, वादों की,
उन खामोशियों की
जो कभी कह नहीं पाए,
पर सुन लिए गए।
प्यार में मिट्टी नहीं होती,
पर नमी चाहिए होती है।
थोड़ी सी बात, थोड़ा सा साथ,
बस वो फिर से हरा हो जाता है।
"प्यार मनीप्लांट जैसा होता है"
कट जाए, टूट जाए,
फिर भी जी उठता है।
एक टहनी से फिर से,
पूरा जंगल बन जाता है।
ना मिट्टी की कोई ज़रूरत,
ना धूप की ही कोई शर्त।
बस थोड़ी सी नमी, थोड़ी सी बात,
और वो फिर से हरा हो जाता है।
मनीप्लांट जैसी फिदरत होती है।
ऐसा लगता है ---जैसे
प्यार मुहब्बत पर्यायवाची शब्द हैं इसके।
बगैर मिट्टी भी खुश रहा करता है वैसे ही।
दीवारों से लिपटता,
छतों तक चढ़ता,
हर जगह पर अपनी छाया छोड़ता है।
मुहब्बत जैसे अपना छाप छोड़ती है।
क्रमशः----
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