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Aankhe Akele me jibhar rona chahti hai |
🌿 मैं वो नहीं हूँ जो तुमने देखा समझा।
मैं वो हूँ जिसे किसी ने नहीं समझा।
मैं वो हूं जो हर टूटे पल को---
फिर से जोड़ने की कोशिश करता है।
मैं वो नहीं जो हर बार मुस्कुराता हूं।
कभी - कभी मेरे होंठ थक जाते हैं।
आँखें बस चुप रहना चाहती हैं।
अकेले में जीभर रोना चाहती है।
मैं वो हूँ - जो हर बार सही नहीं होती,
पर हर बार मेरा दिल चाहता है सही रहूं।
मैं वो नहीं जो हर ज़ख्म को दिखाती रहूं,
हर ज़ख्म को शब्दों में बदलना चाहती हूं।
ताकि ---
कोई और उसे महसूस कर सके।
बगैर ज़ख्म खाए या बिना जले।
मैं वो हूँ ---जो माफ़ कर देता है।
बगैर माफ़ी मांगे🙏
क्योंकि मेरा दिल कहता है---
हर कोई खुद से लड़ रहा है।
मैं वो नहीं---- जो रोशनी से बना हूं।
पर अंधेरो में टिमटिमाता एक दीया हूं।
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