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Cactus jo pahley chubhte the

 


कुछ ज़ख्म पूर्व जन्म की किताब से आते 

"कैक्टस जो पहले चुभता था,  

अब सौंदर्य का प्रतीक लगने लगा।  

हर कांटा एक अनुभव है,  

हर चुभन अब पहचान बन गई।"


"वो रिश्ते जो घाव थे,  

अब भीतर की त्वचा हो गए हैं।  

अब तो चोट नहीं लगती, 

संवेदनशीलता की ताकत बन गए हैं।"


"जिस खिड़की के पास वो कैक्टस रखा है,  

वो अब किसी इन्तजार की निशानी नहीं—  

बल्कि इस बात की गवाही है कि  

कुछ चीज़ें हरी ही रहेंगी,  

चाहे रिश्ता सूख गया हो।"


"गुलाब के कांटे इश्क की कीमत बन जाते हैं,  

कैक्टस के कांटे तिरस्कार की पहचान क्यों?"


"फूल मुस्कुरा कर झर जाते हैं,  

कांटे ताउम्र सच की तरह टिके रहते हैं।"


"गुलाब की उम्र बस चंद दिन,  

कैक्टस सालों जिए फिर भी अकेला।  

क्या सुंदरता का पैमाना सिर्फ नाजुक होना है?




🌵 कांटों की दृष्टि


गुलाब ने कहा —'मैं नाजुक हूँ, पर जग की चाहत हूँ' 

कांटे मुस्कुराए —'मैं स्थायी हूँ, भाग्य में तिरस्कार हैं'


चुभन से डरते हैं लोग,  

पर सहते हैं वही, जो कांटों के साथ जीते हैं।  

हर चोट नहीं होती बद्दुआ,  

कुछ ज़ख्म पूर्व जन्म की बची,

जीवन की किताबों से आते हैं।


गुलाब झर जाता है समय की सांसों में,  

कांटा टिकता है मिट्टी की नींव में।  

एक क्षण की सुंदरता,  

और दूसरी उम्रभर की दृढ़ता।


हमने सुंदरता को फूलों में ढूँढा,  

पर सत्य तो कांटों की गोद में बैठा था।  

वो जो चुभता है, वही जगाता है,  

वो जो रहता है, वही सिखाता है।


अब कांटे नासमझ नहीं लगते,  

वो तो जीवन की कसौटी हैं।  

जो कांटों की दृष्टि से देखे,  

वो हर फूल में एक संघर्ष पढ़े



🌿 माली की नज़र से — कांटों की दृष्टि


कांटे भी साथी हैं मेरी बगिया में,  

गुलाब की मुस्कान के पीछे उनका अनुशासन है।  

मैंने हर कांटा लगाया अपने हाथों से,  

ताकि फूलों को उड़ने की छूट मिले।


कोई कहे, कांटे चुभते हैं,  

मैं कहूँ, वो जड़ से बंधे रहना सिखाते हैं।  

जो मिट्टी को काटते नहीं,  

वो कांटे मिट्टी के दर्द को समझते हैं।


गुलाब बिखर जाते हैं,  

पर कांटे मौसमों के पहरेदार हैं।  

मैं माली हूँ, जानता हूँ  

खूबसूरती सिर्फ रंग में नहीं—

संघर्ष भी में भी होती है।


कैक्टस को देखता हूँ तो मुस्काता हूँ,  

सूखे में भी हरा रहना सीखता हूं।  

हर कांटे में छिपा है  

ज़िन्दगी से जूझने का हुनर।


मैं तो हाथों में चुभन लिए  

हर दिन बगिया सजाता हूँ,  

क्योंकि जानता हूँ  

कि कांटे भी फूलों के बराबर हैं।



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