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Sabko galat apneko sahi,maiyat me na jana

चादर तान कर सोना,
उठाने पर उठना ,
अच्छा लगता है।

खाकर पीकर सोना,
फिर खाने को उठना,
अच्छा लगता है।

न कोई काम न धंधा,
दिन- रात का निठलापन,
अच्छा लगता है।

रात मे छत पर जाना,
चांद के बहाने उनको ताड़ना,
अच्छा लगता है।

ह्वाटसऍप पर जाकर,
अपने पोस्ट से दंगा फैलाना।
अच्छा लगता है।

फेसबुक ह्वाटसऍप पर,
झूठी विडियो डाल वायरल,
करवाना अच्छा लगता है।

हिंदू मुस्लिम मे चिड़ाध फैलाकर,
बिमार देश को और भी बिमार बनाना,
अच्छा लगता है।

अपने स्वार्थ के आगे देश को,
ताकपर रख सबको ठेंगा दिखाना,
अच्छा लगता है।

सरकार की मुफ्त रोटी के जगह,
उनका चिकन बिरयानी मांगना,
अच्छा लगता है।

अच्छी सच्ची बात पर मुंह लगाना,
सबको गलत अपने को पाक समझना,
अच्छा लगता है।

खिड़की दरवाजे बंद कर रहना,
पड़ोस के मैयत मे न जाना,
अच्छा लगता है ?

हर बात मे खुदा पर दोषारोपण करना,
अपने गिरेबान मे नहीं झांकना,
अच्छा लगता है ?



छत पर उनका आना

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