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Mai kaun hu ye sawal ab bhi hai


 मैं कौन हूं, ये सवाल अब भी है ?

सवाल मेरे हर सांस में गूंजता है।  

तेरे जाने के बाद ही तो मुझे,

मेरा होना समझ में आता है।


जो तू था, वो मेरा अक्स था,

तु सोचता होगा मैं वहां क्यों जाता हूं ?

मैं वहां से यादों की मिट्टी लाता हूं।

हर रोज खुद को फिर से गढ़ता हूं।


तेरी यादों की उसी मिट्टी से, 

एक नया जीवन गढ़ता हूं।


प्रेम अब सिर्फ तुझसे नहीं,  

खुद से भी करने लगा हूं।

 

तेरे दिए हरेक ज़ख्मों को,  

पूजा समझ भरने लगा हूं।


तू नहीं, पर तेरा असर है,  

हर शब्द में, हर स्वर में।

  

अब मैं खुद को ही प्रेम करता हूं,

सुन रखा है तू तो मुझमें रहता है ?


स्वार्थी कहना चाहते हो, कह नहीं पाते,

तेरा इल्ज़ाम नहीं है,

यकीनन ऐ सच्चाई है।

मैं खुद स्वीकार करती हूं।


मैं क्यों स्वार्थी बनी जानना चाहोगे?

समय आने दो सब कुछ सुनाऊंगी।


मैं तेरी राधारानी या मीराबाई नहीं,

सब ज़ख्म हंसते हुए सह जाऊंगी।


सबने कहा अपना ख्याल रखना🤔।

तुमने कहा मैं तेरा ख्याल रख लूंगा।


समय आने तो दो,

खुद से मिलने तो दो।


यशोदा बनकर ना गोद मिला,

केवल जग में मैं मां कहलाई।


रुक्मिणी, राधा, मीरा के प्रितम बने तुम।

मेरा भाग्य देखो अहिल्या सबरी भी ना बन पाई।


मगरमच्छ मार हाथी उबारने वाले,

साड़ी का ढेर लगाने वाले,

कलयुग है, कुछ भी कर जाओ🙏


मेरी 99 गलती पूरा होने से पहले,

चाहो अगर तो मेरा बध कर जाओ।


बस एक ही आस बच्ची है मोहन,

सुदामा समझ मुझे गले लगाओ।


रो- रो कर नगीना पुकार रही अब,

जीभर गया यहां से मुझे ले जाओ।🙏




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