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Ek din jab main nahi hougi

 

Prem ko pakrane ki chatpatahat

एक दिन जब मैं नहीं रहूंगी।

तेरी याद मे लिखी कविताएं पढ़ लेना।


कविताएं जो तेरे जाने के बाद लिखी।

प्रेम को पकड़ने की छटपटाहट में।


लंबी अंतहीन प्रतिक्षा की गवाही है।

जब बारिश में अकेले भींगती रही।


अपने इष्ट से भी ज्यादा भरोसा किया।

कविता तब सशक्त हुई जब भरोसा टूटा।


मौत तेरे आने तक इंतजार करना आसान नहीं था।

तुमसे मिलने की चाह में कफ़न में लिपटा पड़ा था।


मेरी कविता पढ़ते समय आंसू आए मत रोकना।

अपने होंठों पर धुन को गुंजायमान होता देखना।


तुम अपने जीवन में अब तो आने देना। 

जो तेरे साथ नहीं शब्दों के साथ जीया।


एक - एक शब्द मेरे पतझड़ में जीते आए हैं।

बहार किसे कहते हैं कविता को समझने देना।


जब किसी मोड़ पर अनकहा दर्द तुमको सताए।

मेरी कविता तुम संग कदमताल करती नज़र आए

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