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 🌿 “माली का पुनर्जन्म”


रिटायरमेंट के बाद की कहानी


कल तक मैं डस्टर पकड़ता था,  

आज मिट्टी में हाथ डुबोता हूँ।  

पुस्तक के नीचे दबी आत्मा,  

अब तुलसी के नीचे लाता हूं।


पेंशन आई, पर असली सुकून  

तो गमले की नमी में मिला।  

नौकरी के कागज़ साथी छूट गए,  

पर कैक्टस ने मेरी चुप्पी सींच दी।


अब गुलाब से बातें करता हूँ,  

वो बताता है कब थक गया मैं,  

कब नमी चाहिए मुझको ,  

और कब अकेले में खिलना है।


रिटायरमेंट कोई अंत नहीं था,  

वो तो बीज था—  

मैं खुद को बो रहा हूँ हर सुबह,  

ऐसा लगता हर पौधा मेरा पुनर्जन्म है।

मिट्टी की सुगंध 

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