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🌊 तुम्हारे स्पर्श की लहरों में बहता मन---
धूप की पहली किरण,
बस तेरा याद लेकर आती है।
तेरे नाम से जगाती है,
और समंदर की लहरें
तेरे स्पर्श की कहानी सुनाती हैं।
उंगलियां बालों की उलझनों में
तूफ़ान के बाद की शांति की,
मौन की तरह आकाश में उतरती हैं।
जैसे तूफ़ान के बाद---
मौन आकाश मुस्कुराता रहा हो।
ऐसा लगता है —
हमारे दिल दो नहीं, एक हैं।
बस दो लहरें सी दिखती है।
किनारे से बार-बार टकराती हैं ।
हर बार एक फिर से नए रंग में।
सब कहते हैं—
ज़िंदगी कभी भी पूर्ण नहीं होती।
हर जन्म में जीती और मरती हैं।
पर तेरे साथ हर अधूरा पल भी,
किसी कविता की तरह सुंदर लगती है
तेरी आंखों में देखना अपने भीतर,
सांसों के प्रवाहित होने जैसा है।
आंखों में उतर कर खुद को पाने जैसा है।
मैं और तुम का एक हो जाने जैसा है।
(3)
हम समय नहीं गिनते,
हम उसे जीते हैं,
हर आलिंगन में,
हर ख़ामोशी में
हर उस क्षण में
जब सूरज हमारी त्वचा पर,
तेरे नाम की गर्मी छोड़ता है।
अगर कभी---
मैं अगर भूल जाऊं तुमको,
मुझे वो शाम याद दिलाना,
जब तुमने सहारे के लिए,
हाथ बढ़ाया मैं डर गई थी।
ऐसा लगता है ---
किसी जन्म के कुछ साथ बचे थे,
आज कैसे विश्वास भर गया मुझमें।
तुमने हाथ बढ़ाया मैंने पकड़ लिया।
यह अटूट विश्वास बना रहे तुम पर।
अब जब भी तू---
तेरे ना आने का बहाना भी बनाते हो ना,
झूठ है जानती हूं फिर भी दिल धड़कता है।
अगर तू भूल जाए तो मैं याद दिला दूं ---
मैं कौन हूं ? तुम कौन हो?
मैं कहूंगी —
मैं वही हूं जो---
जो पिछले जन्म का पल चुराने आई।
मैं अधूरापन लिए---- पूर्णता लेने आई।
जिसने तुझसे प्रेम किया----
तेरी हर लहर में, तेरी हर ख़ामोशी में,
तेरी समुद्र सी विराटता से डरी नहीं।
अगर हम दोनों ही ---
एक- दूसरे को भूल जाएं तो ,
समझ लेना पूर्व जन्म की यात्रा,
यही तक थी,आत्मा प्रेम में लीन हो गई।
कार्मिक कर्म का कर्ज मत बढ़ाना।
फिर से ना मैं आऊं, ना तुम आना।
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