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Tum nahi the to kaun tha

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मैं खोया हुआ वक्त हूं


अध्याय 1: समय का स्वरूप  


मैं खोया हुआ वक्त हूं।  

ढूंढते रह जाओगे तुम।  


वक्त हंसाती है तो हंस लो दिल से तुम।  

वक्त के बदलने में समय नहीं ‌लगता।  

वक्त कभी भी लौट कर नहीं आता।  


अध्याय 2: प्रार्थना और सद्बुद्धि


इतनी कृपा मेरे ईश्वर बनाए रखना।  

जो रास्ता सही हो,  

उस पर चलाए रखना।  


ना दुखे दिल किसी का भी मेरे शब्दों से।  

इतनी सद्बुद्धि सदा मुझमें बनाए रखना।  


3: जन्मों का भ्रम


पिछले जन्म में मैं ही था,  

रस्सी को सांप समझ डरा था।  

इस जन्म में सांप को 

रस्सी समझ पकड़ लिया।  


तुम डसे नहीं — यह तेरी मेहरबानी है।  

लगता है फिर से कर्जदार बनाने की तैयारी है।  


4: पहचान और भ्रम


जब चली थी चार कंधों पर मैं,  

तेरी बेबस आंखों में आंसू थे।  

तेरे नयनों से मैंने तुमको पहचाना।  

तू तू नहीं — कोई और था,अब जाना।


माफ़ करना गलती जो मुझसे हो गई।

मानव रूप में आया था आंखों ने धोखा खाया।

तुमको भ्रमवश मैंने सब दर्द अपना कह डाला।


5: रात का आत्मसंवाद


दिन भर कर्मों में लगा, रात में कागज़ भरता हूं।  

जब सारी दुनिया सोती है,मैं आहे भरता रहता हूं।  

एक भ्रम टूटा तो और 

एक भ्रम ने मुझको घेर लिया।  

तुम वो नहीं थे--- फिर कौन था?  

जिसको हर पल ढूंढा करता हूं। 


जब चली थी चार कंधों पर मैं।

तेरी बेबस आंखों में आंसू थे।

उन नयनों से मैंने तुमको पहचाना।

तु तु नहीं कोई और था अब जाना।


माफ़ करना गलती जो मुझसे हो गई।

मानव रूप में आया था आंखों ने धोखा खाया।

तुमको उसके भ्रम में सब दर्द अपना सुनाया।


दिन भर कर्मों में लग रात में कागज़ भरता हूं।

जब सारी दुनिया सोती है मैं आहे भरता रहता हूं।


एक भ्रम टूटा तो और एक

भ्रम ने मुझको फिर घेर लिया।

तुम वो नहीं थे--- तो फिर कौन थे?

जिसको हर पल मैं ढूंढा करता हूं।






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