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बांस की हर गांठ की कहानी

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Vishwash Bans Jaisa hota hai 

"प्यार मनी प्लांट जैसा होता है,  

पर विश्वास — वो तो बांस जैसा होता है।"


धीरे-धीरे उगता है,  

शुरू में लगता है, कुछ हो ही नहीं रहा,  

पर एक दिन —  

वो आसमान छूने लगता है।


बांस की जड़ें गहराई में जाती हैं,  

जैसे रिश्तों में भरोसा —  

धीरे-धीरे चुपचाप, पर मजबूत।


वो झुकता है, टूटता नहीं,  

आंधी आए या तूफान,  

विश्वास की तरह —  

लचीलापन उसकी ताकत है।


बांस की हर गांठ एक कहानी कहती है,  

हर रुकावट के बाद एक नई ऊंचाई लिए।


जैसे रिश्तों में हर गलतफहमी के बाद,  

एक नया समझौता, एक नया अपनापन।


तुमने कहा मैं नीम हूं--

हां मैं नीम हूं ---


नीम की कड़वाहट वरदान होती है  

न स्वाद में, न दिखावे में —  

पर असर में, अमृत समान होती है।


कड़वी है, पर साफ करती है,  

वैसे ही जैसे सच —  

जो चुभता है, पर बचाता है।

रक्षात्मक प्रवृत्ति होती है उसकी।


नीम की पत्तियां जैसे शब्द,  

जो सीधे कहे जाते हैं,  

बिना कोई मीठे लाग लपेट के,  

पर दिल को रोगमुक्त कर जाते हैं।


नीम की छाया में बैठकर देखो,  

तो धूप भी ठंडी लगती है।


किसी सच्चे रिश्ते में झांककर देखो।

तकरार के बाद भी सुकून मिलता है।


नीम का स्वाद —  

बचपन की दवा जैसा,  

जिससे भागते थे हम,  

पर वही सबसे ज़रूरी था।


कड़वाहट में छिपा है वरदान,  

जैसे रिश्तों में ईमानदारी,  

जो कभी-कभी चुभती है,  

पर हमेशा रिश्तों बचाती है।

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