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Wo Sabad jo fariyadi ki fariyad sune

 


Fariyadi ki Fariyad

मैं वो हूं जो प्रश्न करती है,  

उत्तर नहीं मिले अर्थ खोजती हूं।  

ना देवी,ना दासी,ना किसीकी परछाईं, 

मैं स्त्री हूं अपनी परिभाषा भी खुद हूं।


मैं बनूंगी वो जो थामे कलम,  

और लिखे इतिहास फिर से।  

ना त्याग मूर्ति,ना प्रेम बंदिनी,  

मैं बनूंगी चेतना की चिंगारी।


मैं बनूंगी वो रोशनी जो,

अंधेरे में दिशा दिखाए।  

ना पूजा की पात्र, 

ना उपेक्षा की छाया,  

मैं बनूंगी संवाद की शुरुआत।


मैं बनूंगी वो जो प्रेम तो करे,  

पर किसी शर्तों के साथ नहीं।  

मैं बनूंगी वो जो चले साथ-साथ,  

पर अपनी राह भी खुद बनाए।


(2)


मैं केवल सौंदर्य नहीं हूं,


मैं वो नहीं...


मैं वो फूल नहीं हूं,

जो गजरे में सजे,  

ना देवता की माला बनूं ,  

ना प्रियसी के उपहार में लिपटी रहूं।


मैं वो फूल हूं  

जो शहीद की चिता पर चढ़े,  

जिसकी खुशबू में  

राष्ट्र की सांसें बसें।


मैं वो दीप नहीं  

जो सजावट में जलूं,  

ना त्योहार की रौशनी बनूं,  

ना किसी उत्सव की शोभा बनूं।


मैं वो दीप हूं--- 

जो अंधेरे में जलकर,  

पथिक को राह दिखाए।


मैं वो शब्द नहीं--- 

जो प्रशंसा में बोले जाएं,  

ना कविता की शोभा बनूं,  

ना प्रेमपत्र की मिठास बनूं।


मैं वो शब्द हूं  

जो क्रांति की पुकार बनें,  

जो मौन को आवाज़ दें।

फरियादी की फरियाद सुने।

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