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Ham chote sahar ki baat karte hai


 हम छोटे शहर की बात निराली 


जहां पिज़्ज़ा-बर्गर नहीं, भात रोटी दाल है,  

हमारे स्वाद में मिट्टी की खुशबू बेमिसाल है।


छोटे शहर के लोग हैं पर सोच ना छोटी रखते हैं।

आधुनिकता से दूर दिल में सच्ची मोती रखते हैं।


हाथ जोड़ते हैं, पैर छूते गले लगते हैं।

 पर दिखावा नहीं।  

ना Kiss की ज़रूरत, ना Fake इज़हार,  

हमारे प्रेम में है अपनापन का सार।


माँ को मैया कहते, पिता को पूजते,  

डैड-मॉम नहीं कहते ,रिश्तों को महसूसते है।  

इश्क नहीं, मोहब्बत नहीं, लव यू नहीं कहते हैं।‌ 

प्यार है—उसे चुपचाप दिल में संभाल रखते हैं।


छोटे शहर के लोग, कविता में पिरोते हैं,  

हर भाव, हर दर्द, हर हँसी को संजोते हैं।  

बड़े शहर की,

उंची इमारतों की चकाचौंध से दूर,  

हमारे हर शब्द में,

बसता है केवल आत्मा की नूर।

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