![]() |
Jane kaise Bebfai kar gaya |
चाक पर रखी थी मिट्टी उसने,
मेरी तस्वीर बनाने को।
वक्त ने ऐसी करवट ली,
बनानेवाले की नियत बदल गई।
लगता तो था वो मासूम सा,
ना जाने कैसे बदल गया।
बेवफा वो लगता न था,
जाने कैसे बेवफाई कर गया।
ख्वाब में अगर वो आए कभी,
उस रात की कभी सुबह ना हो।
उसके आंख के आईने में जरा,
मैं अपनी जुल्फें संवार लूं।
उसकी महक से मेरे खुदा,
मैं तमाम उम्र उस सा महका करूं।
अगर कभी वह शख्स मुझे,
भूलने की दुआ करें।
तू ऐसा करना मेरे खुदा,
उसकी दुआ में कोई असर ना हो।
इतनी इल्तज़ा है मेरी,
उसे मेरी मौत की कोई खबर न दे।
उसके आंखों में है जो छवि मेरी,
उसे आंसू बन गिरा ना दे।
(2)
तेरी याद की मिट्टी से,
मैंने एक और तस्वीर बनाई।
ना वो तेरा चेहरा था,
ना वो तेरा रकीब था।
ना तेरी बेवफाई का आईना था।
बस एक साया था वह,
जो हर मोड़ पर साथ चला।
तेरे जाने के बाद भी,
वो मेरे साथ- साथ चला।
अब मैं चुप हूँ, पर टूटा नहीं,
टूट कर भी नहीं टूटा,
उसने मुझे टूटने ना दिया।
जो तू दुआ में उसे भूलना मांगे ,
मैं खुदा से कहूँ—उसे भूलने ना दे।
0 Comments