Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Jajbaat mere mazak ban gaye

 


जज़्बात मेरे मजाक बन कर ही रह गए।

ज़ख्म दिखाई तो वो नमक छिड़क गए।


तमाम उम्र सफ़र में साथ देने वाले भी,

बीच राह में अकेला छोड़ कर चले गए।


हम तो गैरों से शिक़ायत करते रह गए।

जो थे अपने वो भी अपने कहां रह गए।


सूई अकेले चले तो केवल चुभन देती है।

धागा का साथ मिले दो को जोड़ देती है।


बस इतनी सी थी बात, जो हम समझाते रह गए।

ठान रखी थी जाने की, रुठा समझ मनाते रह गए।


अंततः उसका अलविदा मुझे प्राप्त हुआ।

जिससे मुझे सम्पूर्ण हृदय से था प्यार हुआ।


अनुत्तरित प्रश्न ? अपनी ही प्रतिध्वनियां,

मेरे पास कुछ अनकहे लफ्ज़ पड़े रह गए।


अधूरे प्रेम प्यार मुहब्बत का भार ढोते रह गए।

मेरे पास टूटे दिल की अधूरी ख्वाहिश रह गए।


किसे सम्हालूं, किसे समेटू हम यही सोचते रह गए।

अलविदा भी नहीं कह पाया मेरे शब्द कम पड़ गए।


Post a Comment

0 Comments