बुखार, बिस्तर और बॉलीवुड: एक बीमार कलाकार की डायरी
Bukhar, Bichhavan aur Bollywood: Ek Beemar Kalakar ki Diary
आज का एजेंडा?
घरवालों का एक ही नारा है: "तुम काम मत करो आराम करो 🤔!"
सर दर्द बदन दर्द लिए मेरा मन ? वो तो बिस्तर पकड़ कर बैठा है, मोबाइल से गहरी दोस्ती कर चुका है—वीडियो, फिल्में, रीलें और कभी-कभी अपने ही ख्यालों की डॉक्यूमेंट्री।
सर्दी, खांसी, बुखार—ये तीनों मिलकर मुझे दो महीने से फ्रीलांस टॉर्चर दे रहे हैं।
पर मैं भी कोई कम नहीं, इन्हीं के बीच समंदर में गोते लगाए, ज़िंदगी को थोड़ा पोएटिक बनाया।
अब जब थकान से शरीर ने आधिकारिक रूप से इस्तीफा दे दिया है, तो मैं बिस्तर से छुट्टी नहीं ले पा रही।
घरवाले कह रहे हैं:
"डॉक्टर के पास जाओ!" कभी -कभी खिजलाहट में डांट भी सुननी पड़ती है 🥲
मैं कह रही हूँ:
"डॉक्टर और दवा ? उससे तो मेरी दोस्ती कभी हुई ही नहीं!"
मुझे तो तुलसी, हल्दी, अदरक,बकास, मुलेठी और थोड़ी सी अपनी ज़िद पर विश्वास है।
आयुर्वेद मेरी नेटफ्लिक्स है—हर लक्षण के लिए एक नया एपिसोड।
अब डांट भी पड़ रही है।
घरवाले कह रहे हैं:
"ये कोई वेब सीरीज़ नहीं चल रही, असली ज़िंदगी है!" आप खुद को क्यों सता रहे हो, दो दिन में एलोपैथी चिकित्सा में ठीक करने की क्षमता है।
मैं सोच रही हूँ:
"ज़िंदगी भी तो कभी-कभी ड्रामा से कम नहीं होती!"
योग सर से प्रॉमिस किया था एक दिन भी अनुपस्थित नहीं रहेंगे। बिस्तर पर पड़ी-पड़ी अपने ही किए वादे को टूटते हुए देख रही हूं। पतिदेव को योग करते देख रही हूं।
लेटे-लेटे अनुलोम-विलोम प्राणायाम कर अपने जिंदा होने का ऐलान करती हूं 🙏 योगगुरु एटेंडेंस बना देना प्लीज़ आपकी शिष्या लाचार है 🙏
तो आज का मेरा एजेंडा ये है: ----
- बुखार के साथ एक और फिल्म देखना
- तुलसी वाली चाय बनाना
- घरवालों से थोड़ा सा झगड़ा, डांट के साथ थोड़ा सा प्यार ( लिख दिया ताकि घरवाले नाराज़ ना हो जाए 😂 वैसे कोई भी इंसान इस संसार में नहीं जो इस जिद्दी से प्यार कर सके)
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इस ब्लॉग को लिखकर दुनिया को बताना कि बीमार होने का भी एक अंदाज़ होता है। एक बिछावन प्रेमी (मैं सोने के लिए ही दुनिया में आई हूं) भी कभी-कभी बिछावन से उब जाता है।
आप बिस्तर पकड़ो तो ठीक 👍 बिस्तर आपको पकड़े तो ग़लत। यह तो बड़ी नाइंसाफी है 🤔
अगर आप भी कभी बिस्तर पकड़ कर सोच में डूब जाएं, तो याद रखना—ज़िंदगी थोड़ी सी हल्दी वाली होती है, कभी नमकीन,थोड़ी सी मिर्च वाली, खट्टी-मीठी तो कभी-कभी एकदम क्लासिक फिल्मी सी होती है।
नींद भी अजीब है - सब कुछ ठीक हो आती है, वरना आपसे दूरी बनाए रखती है। जैसे हर बीमारी कोरोना है।
रात में जगना उल्लू का काम है 🦉उल्लू को मां लक्ष्मी के धन की रक्षा की जिम्मेदारी होती है।
इंसान रात में जगे तो निगेटिव विचार ही आएंगे, घर में खराटे की आवाज आ रही हो, आप छत पर नकली तारें गीन रहें हो सुबह का इंतजार कर रहे हो।
चलो एक कविता में चलती हूं ---रात में कविता लिखने का आनंद लिया जाए।
बुखार की बिस्तर से बातें---
बिस्तर ने आज फिर मुझे गले लगाया,
बुखार ने माथे पे हाथ रखा, मैं आ गया😂
सबने माथे पर हाथ लगाया कहा - Yes
मोबाइल बोला, "चल एक फिल्म देख लें,"
मन बोला-एक फिल्म तीन बार देख चुकी।
चलो यार आज चौथी बार भी देख लो😯
तुलसी की चाय से मेरी उम्मीद घुली,
हल्दी ने कहा, "मैं सब ठीक कर दूंगी!"
घरवाले बोले, "डॉक्टर के पास चलो,"
मैं बोली, "आयुर्वेद की मैं बंदगी हूं।"
उसे छोड़कर कहां जाउंगी मर जाउंगी।
सर्दी ने खांसी से गुपचुप बात की,
बुखार ने फिर से मीटिंग बुलाई।
मैंने कहा, "थोड़ा आराम कर लूं,"
ज़िंदगी बोली-चलो,एक कविता बनाते हैं।"
बिस्तर पे लेटी, दर्द से कराहती मैं,
कलम पकड़ाने वाले मेरे गुरुदेव,
ख्वाबों में बस तेरी ही याद आई🙏
मैंने समन्दर के अंदर जाकर देखा है।
कौन कहता है समुद्र गहरा है।
समन्दर भयानक है,उथला है।
डरावनी लहर होते भी डरपोक है।
जिसे खींचकर अपने में समेटता है।
उसे किनारे पर लाकर पटकता भी है।
समन्दर तू दाता नहीं है, नदी का याचक है।
मीठा जल को खारा बनाने वाला घातक है।
बीमार हूं, पर मैं हारी नहीं हूं, थकी हूं ,
इस थकन में भी एक कहानी समाई।
मैंने तो समन्दर को हाथ जोड़े पाई है 🙏
सुना है हाथ जोड़ना उसका बड़प्पन है।
समझ नहीं आता वह नेता है या सौदाई है।

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