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Jindagi ke chand Lamhe baki hai

 



Chal Thora Baith Mai tere Sath hu

कोई फरिश्ता को बुलाया जाए।

मेरे माथे पर पट्टी लगाया जाए।

फरिश्ता की तलाश और बढ़ता बुखार--- कोई फरिश्ता हो जो बुखार में माथे पर पट्टी रख दे चुपचाप, ना पूछे हाल, ना जताए सवाल, बस ठंडी हथेली से दे जाए जवाब। कोई फरिश्ता हो ऐसा जो समझ सके, कि थकान सिर्फ जिस्म की नहीं होती,

जिसकी आंखें देख सके आंखों की धुंध। अधूरे सपने जो अब भी रोशनी मांगते हैं। मुझ जैसे नाकामयाब इंसान को,

कामयाबी का नया पाठ पढ़ा जाए।


सब कुछ हारे हुए इंसान को, दुबारा इंसानियत का पाठ पढ़ा जाए।

जिसकी हार में भी एक गीत हो, जिसकी चुप्पी में भी एक पुकार हो। कोई ऐसा फरिश्ता जो कहे—


अरे कौन कहता है तू हारा है ? "तू टूटा नहीं है, बस थका है, चल, थोड़ा बैठ, मैं तेरे साथ हूं। जब तक तू फिर से उड़ने लगे।


(2)

तू आ गया, बस काफी है,

ज़िंदगी के चंद लम्हे ही तो बाकी हैं। ना शिकवा, ना सवाल कोई,

चौदह साल पर ना सवाल कोई, तेरी मौजूदगी ही मेरी आख़िरी कहानी है। धड़कनों ने धड़कना सीखा था, सांसों ने समझौता करना सीख लिया। पर तेरी आने की आहट ने जैसे, हर टूटे राग को फिर से छेड़ दिया। ना वादा चाहिए, ना वक़्त तेरा, ना ही किसी बात की तसल्ली। बस यह पल है, ना तू है, ना मैं हूं।

ये चुप्पी है जो सब कुछ कह रही। अगर जाना भी है, तो खुशी से जा, पर ये लम्हा छोड़ता जा मेरे पास। क्योंकि तू आ गया, बस काफी है, अब जो भी बचा है, वो बोनस है।


तेरे साथ बीता हुआ हर एक लम्हा,

उम्रभर का होगा मेरा उपहार कान्हा।



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