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हमारा विज़न ही हमारा डेस्टीनी का निर्माण करता है

Hamara vision hi hamara destiny ka nirnayak hai 

अध्यात्म की तरफ जीवात्मा और उसके कर्म 🤔

आंखों से 83% कर्म 

कान से 14% कर्म

सभी इन्द्रियों को मिलाकर 3% कर्म 

हमारा विज़न ही हमारी डेस्टीनी का निर्णायक है।


👁️ आंखें और कर्म

- आंखें केवल दृश्य नहीं देखतीं, वे संकेत और अर्थ भी ग्रहण करती हैं।  

- जो हम देखते हैं, वही हमारे विचारों का बीज बनता है।  

- इसलिए कहा गया है: "जैसा दर्शन वैसा चिंतन, जैसा चिंतन वैसा जीवन।"  

हमारे 83% कर्म का निर्माण आंख से होता है।

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👂 कान और कर्म

- कान से सुनी गई बातें हमारे भीतर श्रद्धा या संशय पैदा करती हैं।  

- श्रवण से ही ज्ञान का संचार होता है—गुरु उपदेश, वेद, संगीत, या साधारण संवाद।  

- सही श्रवण से विवेक जागता है, गलत श्रवण से भ्रम।  

हमारे कर्म में 14% भागीदारी कान यानी श्रवण की होती है।

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🌸 अन्य इन्द्रियां और कर्म

- स्पर्श, स्वाद, गंध—ये सब मिलकर जीवन को अनुभव देते हैं।  

- लेकिन इनका प्रभाव सीमित है या यूं कहें नगन्य है 🤔 क्योंकि वे केवल क्षणिक सुख- दुख का कारण बनते हैं। हमारे अच्छे बुरे कर्म में सबको मिलाकर मात्र 3% हिस्सा होता है।


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🧠 दृष्टि और भविष्य

- मनुष्य का भविष्य उसके देखने और समझने पर आधारित है।  

- यदि दृष्टि केवल बाहरी जगत पर है, तो कर्म भी बाहरी रहेंगे।  

- यदि दृष्टि भीतर की ओर है—आत्मा, सत्य, शाश्वत—तो कर्म भी शुद्ध और मुक्तिदायी होंगे।  


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🌌 निष्कर्ष

- Vision → Thought → Action = Destiny  

- हमारी आंखें और कान केवल इन्द्रियां नहीं हैं, वे हमारी डेस्टीनी के द्वार हैं।  

- अध्यात्म यही सिखाता है कि दृष्टि को शुद्ध करो, श्रवण को विवेकपूर्ण बनाओ, और कर्म को आत्मा से जोड़ो।

हमारा विज़न ही हमारी डेस्टीनी का निर्णायक है।

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