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अर्थ की औकात कहाँ?

वह गया तो, मुहब्बत सीखा कर गया मुझे ।
मुहब्बत  की नही जाती बता कर गया मुझे।

वो पास नही मेरे फिर भी न जानू कैसे ?
उसकी खुशबू हर दरो दीवार से आती है।

यादे उसकी तो मुझे उससे भी प्यारा है।
यादो के सहारे दिन और रात कट जाए।

कुछ लोग ऐसे होते है जो छोड़ जाते है।
आँखे बंद हो जब भी रूहो मे भटकते है।

लड़खड़ाते पांव हो जिनके सहारा उनसे क्या लेना।
यह सच है कि वैसे ही बंदे अक्सर काम आते है।

फिक्र जिनको नही अपनी उसे जग पागल कहता है।
जब हाथ उसकी उठती है दुआ सबकी निकलती है।

जाने मुझसे खता क्या हुई,घर पहुंची तो ताला मिला।
मुझसे रूठ कर गए हुए ,उनको तो जमाना हुआ।

अर्थ की औकात कहाँँ, जीवन का अर्थ कहे।
अर्थ मे जीवन की अहमियत है क्या कैसे कहे।

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