मांगती माफी न मैं और न किसी को माफ करती हूं।
देती सज़ा हूं और सज़ा लेने को तैयार रहती हूं।
अच्छा नहीं है बारंबार गलती कर माफी मांगते रहना।
अल्फाज से रफ्ता- रफ्ता किसी के दिल दुखाते चलना
असलसल हर्फ बेकाबू हो उसके तसव्वुर में क्या रहना।
सामने से आकर जो मोहब्बत का इजहार न कर पाए।
मुख्तलिफ उससे क्या होना जो वक्त के साथ बदल जाए।
साथ देना है तो तुम मेरा साथ दो ऐसा।
तुम पर तेरी दोस्ती पर फख्र हमें आए।
बुरे वक्त में भी जो शिद्दत से काम आए
साथी हो तो ऐसा हो तेरे साथ चल पाए
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