बे- शर्म शब्द को भी शर्म आ जाती होगी।
जब बेटियों की इज्जत उतारी जाती होगी।
पूछना जरूरी है जनाब आपकी जाति से।
मां- बहन- बेटी, प्रेयसी- पत्नी बन जाती है।
फिर मर्द जाति नारियों को क्यों यू जलाती है।
सुना था दिन ढलने के बाद शव को नहीं जलाते हैं।
ऐसी क्या मजबूरी बेटियां रातों में जलाई जाती है।
जब तक बेटों को बचाने के लिए बेटियां यू दफनाए जाएगी।
बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ का नारा लोकोक्ति बन जाएगी।
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