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Khushiyo ka Manjar ab Birana sa Lagta hai

घर से सबके जाने पर घर सूना सूना लगता है। 

खुशियों का वो मंजर अब वीराना सा लगता है। 

दीवारें भी अब बातें नहीं करती ।

खामोशी की चादर ओढ़ी सी लगती है।

वो हंसी-खेल वो ठहाके कहानी जैसी लगती है।

चांद सितारों की बातें रूठने मनाने का दौर अब,

कल की बात नहीं सदियों की यादों जैसी लगती है।

घर सूना- लगता है 


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