क्षणिकाएं
1) घावों को छूते रहने से जख्म नहीं भरा करते हैं।
किसी को अपना कह देने से अपना नहीं हुआ करते है।
गैर जब अपने लगने लगे मन में प्रश्न तो उठता है।
शायद ऐ कोई अपना है पराया न लगता है।
जिंदगी तब रूककर सोचने को कहती हैं।
2)
सीधा-सी है यह जिंदगी इसे यूं ना उलझाईए ।
थोड़ा सा वक्त निकालिए बहाने ना बनाईए ।
सच में क्या मसरूफ है आप अपनों के महफ़िल में।
यह वक्त की कमी का यूं बहाना ना बनाईए।
3)
मेरी हिमाकत देखिए
मैंने उनसे तोहफे में
उनका वक्त मांग लिया।
ख्वाहिश मेरी चाहकर
भी वो पूरी न कर सके।
लगता है मैंने उनसे अपने
औकात ज्यादा मांग लिया।
4)
मेरी मुहब्बत उनकी बेबसी देख लाचार सी हो गई।
मैं भी वक्त की नजाकत देख खामोश रह गई।
अगले जनम में वो शायद आएगे हमसे मिलने।
कह दो नदियां का पानी पलट कर नहीं बहती।
ठुकराया दिया जो मुहब्बत दुबारा ना मिलती।
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दिल की धड़कन मौनी बाबा बन गई |
एहसासो की कसक दिल की दिल में रह गई।
वक्त की नजाकत समझ दिल के साथ रह गई।
वक्त के आगे मुहब्बत इस कदर लाचार सी हो गई।
दिल की धड़कन दरिया की मौनी बाबा बन गई।
धड़कन रुक ना जाए हमने सर को झुका दिया।
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