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आस्था और विश्वास हो मेरे लिए |
तुम क्या हो मेरे लिए
लिखने बैठी तो पूरा ग्रन्थ
पूरी पुस्तक और कागज
का ढेर बन जाऐ।
केवल प्रेम नहीं हो तुम
तुम मेरे आस्था विश्वास हो
तुम्हारा स्वरूप तुम्हारी आंखें
मेरी कल्पना से परे है।
जीवन का वो हिस्सा हो जिस पर
जितना भी लिखूं अधूरा ही रहेगा।
शब्दों के दायरे में तुम्हें नहीं ला सकती।
तुम्हारे आंखों में अपनी छवि देख मेरे
मेरे आंखों में शुरूर छा जाता
खुद पर घमंड आ जाता है।
आईना कभी नहीं दिखाता।
इतना स्पष्ट तस्वीर मुझको।
तुमने भरसक प्रयास किया मुझे खुशी देने का
प्रेम के सागर में डूबोए रखने के लिए तुमने
वो सब किया जो मुझे भी गवारा नहीं था।
पागल मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ नहीं पाई।
मुझे पता था हमारा साथ सम्भव नहीं
तुमको असंभव को संभव बनाने की ज़िद
मुझे तुमको हारते टूटते देखना गंवारा नहीं।
लिखते लिखते कलम थड़थड़ा जाती है।
तुम्हारे निश्छल प्रेम देख दिल भर जाता है।
तुम्हारी बनकर मैं आऊंगी अगले जन्म में
भरोसेमंद तो नहीं मै पर मेरा इंतजार करना।
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