सारी दुनिया है जिसकी दीवानी
मेरे आंसूओं के सौदागर ठहरे तुम,
इसकी कीमत तुम उससे ही पूछों?
बेचना गर चाहें बेच दें मेरे आंसू
कुछ बहे कुछ रूके से मेरे आंसू।
फूल तोड़ते हुए जो कांटे चुभे थे
उसकी वेदना तुम उससे ही पूछों?
हवन में जब मेरी उंगली जली थी
छालें देख हुआ था क्या दर्द उसको।
मेरे आंसूओं के सौदागर ठहरे तुम,
इसकी कीमत तुम उससे ही पूछों ?
मेरे मन - प्राण जब समर्पित थे सिर्फ उसको।
चाहा था ना किसी को,चाहकर फिर उसको ?
छोड़ गोकुल में मुझको गया क्यों अकेला।
मकड़ी के जाले में फंसाने वाले से ही पूछों?
मेरे आंसूओं के सौदागर ठहरे तुम,
इसकी कीमत तुम उससे ही पूछों?
मंदिर में जब लगी थी भीड़ इतनी।
दिल में मेरे वो आया ही क्यों था।
मकड़ी के जाल में मुझे फंसाया ही क्यों था ?
मेरे दिल में आने की जरूरत ही क्या थी?
सारी दुनिया है जिसकी दीवानी
उन बहुतों में मैं भी तो खड़ी थी।
उसके हवाले की थी जिंदगी अपनी।
वह रूठता रहा और मनाती रही मैं ।
मेरे आंसुओं के ठहरे सौदागर तुम।
इसकी कीमत तुम उससे ही पूछों ?
फासले बढ़ाते गया तय करती रही मैं ।
बेड़ियों में जकड़ी थी पर चलती रही मैं।
फासला बीच का मिटाने के खातिर
मिटती रही कितनी मैं तुम उससे ही पूछो।
मेरे आंसुओं के ठहरे सौदागर तुम।
मेरे आंसूओं कीमत तुम उससे ही पुछो ?
उसके हवाले की थी जिंदगी अपनी।
पलटकर भी ना देखे उसने मेरे आंसू।
बहे अश्क कितने तीरछी नजरवाले से पूछो ?
मेरी पीड़ा से कभी घायल हुआ क्या?
कभी मेरे रूह के उसने छाले भी देखें।
मेरे छाले पर मलहम लगाया कभी?
गीता सुनाने वाले से जाकर तो पूछों?
मेरे आंसूओं के ठहरे सौदागर तुम।
मेरे आंसूओं की कीमत तुम उससे ही पूछों?
चलती रही मैं उम्र भर साथ उसके।
बैठी रही मैं, जहां छोड़ा था मुझको।
मेरा कसूर बस इतना था, उसको चाहा।
उसके सिवा ना मैंने और कुछ था चाहा।
मकड़ी के जाले में फंसाने वाले से पूछों?
मेरे आंसुओं के ठहरे सौदागर तुम
मेरे आंसूओं की कीमत तुम उससे ही पूछो ?
तैंतीस कोटी देवी देवता में उसको ही पूजा।
दिल के मन मंदिर में ना आया कोई दूजा।
मेरे आंसुओं के ठहरे सौदागर तुम।
मेरे आंसूओं की कीमत तुम उससे ही पूछो।
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