Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

कहीं से तुम आ जाओ

तुम क्यों सोई नहीं 


कहीं से 
कभी तुम आओ तो सही

मै दरवाजा खोलूं और तुम सामने हो

कभी तो मेरे हिस्से भी ऐसी खुशी हो।

मौत आए तो तुम सिरहाने खड़े हो।

(2)


मांगें क्या रब से तुमको मांगने के बाद।

सुनना ही क्या है हमें तुम्हें सुनने के बाद।

देखने को बचा ही क्या तुम्हें देखने के बाद।

बर्बाद क्या होंगे हम तुमको हारने के बाद।

मुड़कर नहीं देखा तुने मुझे छोड़ने के बाद।

(3)


भावुक होती है औरतें जो हर बात पर रो देती है।

अजनबी के सामने भी दिल खोलकर रख देती हैं।

एक मैं हूं जो कभी रोती नहीं हंसकर विदा लेती हूं।

जंजीर समझने वाले जाओ मैं तुमको विदा देती हूं।

(4)


ऐसा नहीं लगाव,एहसास या फ़िक्र खतम कर लेती हूं।

मन को मारकर बिछड़ जाने का डर खत्म कर लेती हूं।

बस चुपचाप तेरे दुनिया से बहुत दूर चली जाती हूं।

जिसने जहां छोड़ा उससे वहां तक जुड़ी रहती हूं।

(5)


काली भयानक सी रात थी मैं डर कर सोई नहीं।

दर्दे दिल छुपाई घुटती रही चिल्ला कर रोई नहीं।

सोचा कोई तो होगा जो पूछेगा क्यों तू सोई नहीं।

जाग क्यों रही हो कौन है जिसके लिए सोई नहीं।

(6)


तुमको पाया ही नहीं फिर भी खोने से डरता रहा हूं।

तुम्हें मुहब्बत नहीं है फिर भी मुहब्बत करता रहा हूं।

यह धोखा छल फरेब या फिर झूठी दिलासा क्यों है।

जहां आस्था विश्वास और प्रेम हो वही मिलता क्यों है ?

Post a Comment

0 Comments