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जब प्यार तेरा याद आता |
कलम रख देती हूं
जब दिल घबराता है कलम उठाती हूं।
घबराहट में लिख नहीं पाती रख देती हूं।
जब मन बेचैन होता है कलम उठाती हूं ।
बैचनी में लिख नहीं पाती फिर रख देती हूं।
जब तेरी याद आती है कलम उठाती हूं।
तेरी यादों में खो जाती फिर रख देती हूं।
जब नींद नहीं आती है कलम उठाती हूं।
तेरे सपनों की लालच में फिर रख देती हूं।
जब कोई याद आता है कलम उठाती हूं।
कलम को देखती रहती फिर रख देती हूं।
जब तन्हाई में तेरी याद सताती है कलम उठाती हूं।
तेरी तस्वीर सीने से लगा कर लिखना भूल जाती हूं।
जब कोई प्यार जताता है कलम उठाती हूं।
चाहकर भी लिख नहीं पाती फिर रख देती हूं।
जब दिल में दर्द होता है कलम उठाती हूं।
दर्द के बद्दुआ से डरकर फिर रख देती हूं।
जब प्यार तेरा याद आता है कलम उठाती हूं।
लिखती हूं,लिखती हूं,लिखती चली जाती हूं।
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